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रामपुर-सहसवान घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रमुख घरानों में से एक है। यह घराना विशेष रूप से ख़याल गायकी के लिए प्रसिद्ध है और इसका संबंध ग्वालियर घराने से माना जाता है। इस घराने की गायकी में शुद्ध रागदारी परंपरा, स्वर और लयकारी का संतुलन, तथा शक्तिशाली तानों का प्रयोग मुख्य विशेषताएँ हैं।


1. इतिहास और स्थापना


2. रामपुर-सहसवान घराने की विशेषताएँ

(1) मजबूत और स्पष्ट आवाज़

(2) तानों (तेज़ गति वाले स्वर संयोग) की प्रधानता

(3) ताल और लयकारी में निपुणता

(4) आलाप और बंदिश का संतुलन

(5) शब्दों की स्पष्टता

(6) तानसेन की परंपरा से जुड़ाव


3. रामपुर-सहसवान घराने के प्रमुख गायक

(1) उस्ताद इनायत हुसैन खाँ

(2) उस्ताद मुश्ताक हुसैन खाँ

(3) उस्ताद निसार हुसैन खाँ

(4) उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ

(5) उस्ताद राशिद खाँ


4. रामपुर-सहसवान घराने का योगदान

  1. खयाल गायकी में तानों को प्रमुखता दी
  2. लयकारी और सुरों की स्पष्टता पर विशेष ध्यान दिया
  3. शक्ति, माधुर्य और गहराई वाली गायकी को विकसित किया
  4. ग्वालियर घराने की परंपरा को आगे बढ़ाया और उसे नयी ऊँचाई तक पहुँचाया
  5. भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खयाल गायकी को पहचान दिलाई

5. निष्कर्ष

रामपुर-सहसवान घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली घराना है। इसकी गायकी में मजबूत आवाज, स्पष्टता, तानों की विविधता और लयकारी का विशेष महत्व होता है। इस घराने के गायक पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं और आज भी इसकी परंपरा जारी है।

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