रामपुर-सहसवान घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रमुख घरानों में से एक है। यह घराना विशेष रूप से ख़याल गायकी के लिए प्रसिद्ध है और इसका संबंध ग्वालियर घराने से माना जाता है। इस घराने की गायकी में शुद्ध रागदारी परंपरा, स्वर और लयकारी का संतुलन, तथा शक्तिशाली तानों का प्रयोग मुख्य विशेषताएँ हैं।
1. इतिहास और स्थापना
- इस घराने की स्थापना उस्ताद इनायत हुसैन खाँ ने की थी।
- यह घराना उत्तर प्रदेश के रामपुर और सहसवान (बदायूँ ज़िला) से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे “रामपुर-सहसवान घराना” कहा जाता है।
- इस घराने का गहरा संबंध ग्वालियर घराने से माना जाता है और इसकी गायकी में ग्वालियर शैली की छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
2. रामपुर-सहसवान घराने की विशेषताएँ
(1) मजबूत और स्पष्ट आवाज़
- इस घराने की गायकी शक्तिशाली, ऊर्जावान और स्पष्ट होती है।
- इसमें मजबूत सुरों (स्वरों) का प्रयोग किया जाता है, जिससे गायन बहुत प्रभावशाली लगता है।
(2) तानों (तेज़ गति वाले स्वर संयोग) की प्रधानता
- रामपुर-सहसवान घराने की गायकी में तेज़, सटीक और लंबे तानों का विशेष प्रयोग किया जाता है।
- ये तानें आमतौर पर सपाट (सीधी) और घुमावदार (लचीली) दोनों प्रकार की होती हैं।
(3) ताल और लयकारी में निपुणता
- इस घराने के गायक लयकारी (ताल का सूक्ष्म ज्ञान) में माहिर होते हैं।
- इनकी गायकी में तीव्रLay (Drut Laya) और मध्यLay (Madhya Laya) का संतुलन देखने को मिलता है।
(4) आलाप और बंदिश का संतुलन
- इस घराने की गायकी में खयाल गायकी का संतुलन देखा जाता है, जहाँ आलाप, बोल-आलाप और बंदिशों का प्रभावशाली प्रयोग किया जाता है।
(5) शब्दों की स्पष्टता
- गाने के दौरान शब्दों की स्पष्टता और उच्चारण बहुत सुंदर और स्पष्ट होता है।
- इस घराने की गायकी भावपूर्ण (Expressive) और अर्थपूर्ण (Meaningful) होती है।
(6) तानसेन की परंपरा से जुड़ाव
- इस घराने की गायकी में तानसेन की शैली की छाप देखी जाती है।
- यहाँ गायन में शुद्ध रागों और परंपरागत बंदिशों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
3. रामपुर-सहसवान घराने के प्रमुख गायक
(1) उस्ताद इनायत हुसैन खाँ
- यह इस घराने के संस्थापक माने जाते हैं।
- इन्होंने ख़याल गायकी में शक्ति और गहराई को महत्व दिया।
(2) उस्ताद मुश्ताक हुसैन खाँ
- इन्होंने इस घराने को पूरे भारत में लोकप्रिय बनाया।
- इन्हें भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी जैसे गायकों का प्रेरणास्रोत माना जाता है।
(3) उस्ताद निसार हुसैन खाँ
- 20वीं सदी के महान गायकों में से एक।
- इनकी गायकी में शक्ति, सुंदरता और रागदारी का संतुलन था।
(4) उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ
- इन्होंने रामपुर-सहसवान घराने की शैली को आगे बढ़ाया।
- इनके शिष्य सोनू निगम, हरिहरन, शंकर महादेवन जैसे प्रसिद्ध कलाकार रहे हैं।
(5) उस्ताद राशिद खाँ
- वर्तमान समय के सबसे प्रसिद्ध रामपुर-सहसवान घराने के गायक।
- इनकी गायकी में नज़ाकत, ताकत, तानों की विविधता और भावनात्मक गहराई देखी जाती है।
4. रामपुर-सहसवान घराने का योगदान
- खयाल गायकी में तानों को प्रमुखता दी।
- लयकारी और सुरों की स्पष्टता पर विशेष ध्यान दिया।
- शक्ति, माधुर्य और गहराई वाली गायकी को विकसित किया।
- ग्वालियर घराने की परंपरा को आगे बढ़ाया और उसे नयी ऊँचाई तक पहुँचाया।
- भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खयाल गायकी को पहचान दिलाई।
5. निष्कर्ष
रामपुर-सहसवान घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली घराना है। इसकी गायकी में मजबूत आवाज, स्पष्टता, तानों की विविधता और लयकारी का विशेष महत्व होता है। इस घराने के गायक पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं और आज भी इसकी परंपरा जारी है।