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पटियाला घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रमुख घरानों में से एक है। यह घराना विशेष रूप से खयाल गायकी के लिए प्रसिद्ध है और इसे पंजाब की समृद्ध संगीत परंपरा का प्रतिनिधि माना जाता है। इस घराने की गायकी में सरगम, बोल तान, तेज तान और मींड का सुंदर समावेश देखने को मिलता है।


1. इतिहास और स्थापना


2. पटियाला घराने की विशेषताएँ

(1) तेज और प्रभावशाली तानों का प्रयोग

(2) मींड और गमक का सुंदर प्रयोग

(3) सरगम और लयकारी पर विशेष ध्यान

(4) ख़याल गायकी की आधुनिक शैली

(5) ठुमरी और ग़ज़ल में योगदान


3. पटियाला घराने के प्रमुख गायक

(1) उस्ताद अली बख्श और उस्ताद फतेह अली खाँ

(2) उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ

(3) उस्ताद बरकत अली खाँ

(4) उस्ताद अманत अली खाँ और उस्ताद फतेह अली खाँ (द्वितीय)

(5) उस्ताद राशिद खाँ


4. पटियाला घराने का योगदान

  1. खयाल गायकी को अधिक आधुनिक और प्रभावशाली बनाया
  2. तेज और जटिल तानों का उपयोग कर गायकी को अधिक रोमांचक बनाया।
  3. सरगम और बोल-तान को खयाल में प्रमुखता दी
  4. मींड और गमक के प्रयोग से गायकी को अधिक भावपूर्ण बनाया
  5. ग़ज़ल और ठुमरी में विशेष योगदान दिया

5. निष्कर्ष

पटियाला घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रतिष्ठित घरानों में से एक है। इसकी गायकी तेज तानों, मींड, गमक और लयबद्धता पर आधारित होती है। उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ जैसे महान गायक इस घराने की शान रहे हैं। आज भी यह घराना अपनी परंपरा को आगे बढ़ा रहा है और भारतीय संगीत में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

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