पटियाला घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रमुख घरानों में से एक है। यह घराना विशेष रूप से खयाल गायकी के लिए प्रसिद्ध है और इसे पंजाब की समृद्ध संगीत परंपरा का प्रतिनिधि माना जाता है। इस घराने की गायकी में सरगम, बोल तान, तेज तान और मींड का सुंदर समावेश देखने को मिलता है।
1. इतिहास और स्थापना
- पटियाला घराने की स्थापना उस्ताद अली बख्श और उस्ताद फतेह अली खाँ ने 19वीं शताब्दी के अंत में की थी।
- यह घराना पंजाब के पटियाला रियासत से जुड़ा हुआ था, जहाँ इसे राजकीय संरक्षण प्राप्त था।
- इस घराने ने ग्वालियर और दिल्ली घराने से अलग अपनी विशिष्ट शैली विकसित की, जो आज भी प्रसिद्ध है।
2. पटियाला घराने की विशेषताएँ
(1) तेज और प्रभावशाली तानों का प्रयोग
- पटियाला घराने की सबसे बड़ी विशेषता इसकी तेज, गतिशील और जटिल तानें होती हैं।
- गायक अक्सर बोल-तान (शब्दों के साथ तानें) का प्रयोग करते हैं।
(2) मींड और गमक का सुंदर प्रयोग
- पटियाला घराने की गायकी में मींड (स्वरों को जोड़ने की कला) और गमक (स्पष्ट, गूंजयुक्त स्वर) का गहरा प्रभाव होता है।
- यह शैली गायकी को अधिक भावपूर्ण और प्रभावशाली बनाती है।
(3) सरगम और लयकारी पर विशेष ध्यान
- इस घराने के गायक सरगम (सा-रे-गा-मा) का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करते हैं।
- लयकारी में यह घराना तीनताल, झपताल और एकताल जैसे तालों में गाने के लिए प्रसिद्ध है।
(4) ख़याल गायकी की आधुनिक शैली
- पटियाला घराने ने ग्वालियर घराने की पारंपरिक शैली में परिवर्तन कर इसे अधिक आकर्षक और प्रभावशाली बनाया।
- इसमें लयबद्ध गायकी, तानें और बोलों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
(5) ठुमरी और ग़ज़ल में योगदान
- पटियाला घराने ने ठुमरी और ग़ज़ल गायकी में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- इसके कलाकार भावपूर्ण और कोमल गायकी के लिए प्रसिद्ध रहे हैं।
3. पटियाला घराने के प्रमुख गायक
(1) उस्ताद अली बख्श और उस्ताद फतेह अली खाँ
- यह दोनों भाई इस घराने के संस्थापक माने जाते हैं।
- इन्होंने पटियाला शैली को विकसित किया और इसे लोकप्रिय बनाया।
(2) उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ
- पटियाला घराने के सबसे प्रसिद्ध गायक माने जाते हैं।
- इनकी गायकी सरगम, बोल-तान और मींड के लिए प्रसिद्ध थी।
- इन्होंने “या करीम”, “या रहीम”, “आओगे जब तुम साजना” जैसे प्रसिद्ध रचनाएँ गाईं।
(3) उस्ताद बरकत अली खाँ
- इन्होंने पटियाला घराने की गायकी को ठुमरी और ग़ज़ल गायकी में भी विकसित किया।
- इनकी गायकी बहुत भावुक और कोमल थी।
(4) उस्ताद अманत अली खाँ और उस्ताद फतेह अली खाँ (द्वितीय)
- यह दोनों भाई पटियाला घराने की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले महान गायक रहे।
- इनकी गायकी में उच्च स्तर की तानें और सरगम देखने को मिलती है।
(5) उस्ताद राशिद खाँ
- पटियाला घराने की नई पीढ़ी के प्रसिद्ध गायक हैं।
- इनकी गायकी में गमक, तान और मींड का सुंदर प्रयोग होता है।
4. पटियाला घराने का योगदान
- खयाल गायकी को अधिक आधुनिक और प्रभावशाली बनाया।
- तेज और जटिल तानों का उपयोग कर गायकी को अधिक रोमांचक बनाया।
- सरगम और बोल-तान को खयाल में प्रमुखता दी।
- मींड और गमक के प्रयोग से गायकी को अधिक भावपूर्ण बनाया।
- ग़ज़ल और ठुमरी में विशेष योगदान दिया।
5. निष्कर्ष
पटियाला घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रतिष्ठित घरानों में से एक है। इसकी गायकी तेज तानों, मींड, गमक और लयबद्धता पर आधारित होती है। उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ जैसे महान गायक इस घराने की शान रहे हैं। आज भी यह घराना अपनी परंपरा को आगे बढ़ा रहा है और भारतीय संगीत में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।