Responsive Menu
Add more content here...
Learnclassicalmusic.in

नाम: पंडित विश्व मोहन भट्ट
जन्म: 13 जुलाई 1950
जन्म स्थान: जयपुर, राजस्थान, भारत
व्यवसाय: शास्त्रीय संगीतकार, सितार वादक, संगीतकार
गुरु: पं. रवि शंकर, पं. रामनारायण, उस्ताद इलैया खान

प्रारंभिक जीवन और संगीत यात्रा:

पंडित विश्व मोहन भट्ट का जन्म 13 जुलाई 1950 को राजस्थान के जयपुर शहर में हुआ था। उनका परिवार संगीत से गहरे रूप से जुड़ा हुआ था, और उन्होंने संगीत की बारीकियों को बचपन से ही महसूस करना शुरू कर दिया था। पंडित भट्ट का प्रारंभिक संगीत शिक्षा उनके पिता से हुआ, जो स्वयं एक संगीतकार थे।

उनकी संगीत यात्रा की शुरुआत बहुत ही प्रेरणादायक थी। उन्होंने शुरुआत में वॉयलिन और तबला जैसे वाद्य यंत्रों की शिक्षा ली, लेकिन उनकी असली रुचि सितार में विकसित हुई। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के उन संगीतकारों में से थे जिन्होंने सितार वादन को अपनी विशेष शैली में प्रस्तुत किया।

संगीत शिक्षा:

पंडित विश्व मोहन भट्ट की संगीत शिक्षा का सफर बहुत ही समर्पण और साधना से भरा हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रसिद्ध संगीतकारों से प्राप्त की। पं. रवि शंकर जैसे महान सितार वादक के साथ उनके संबंध बहुत गहरे थे, और वे उनके मार्गदर्शन में संगीत की गहराई में गए। इसके अतिरिक्त, पं. रामनारायण और उस्ताद इलैया खान जैसे विद्वान संगीतकारों से भी उन्होंने अपनी शिक्षा ली। इन सभी गुरुजन से प्राप्त शिक्षा ने पंडित भट्ट को भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक विशिष्ट स्थान दिलाया।

सितार वादन में योगदान:

पंडित विश्व मोहन भट्ट का सितार वादन शैली में योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने सितार को अपनी अनूठी और विशेष शैली में प्रस्तुत किया, जिसे आज पूरी दुनिया में जाना जाता है। पंडित भट्ट ने सितार की पारंपरिक शैली को अपने तरीके से विकसित किया और इसमें एक नई दिशा दी। उनकी सितार वादन की तकनीक में एक अद्भुत सूक्ष्मता और भावनाओं का गहरा मेल था।

पंडित भट्ट का सितार वादन शास्त्रीय संगीत की गहराई और भावनाओं से भरा हुआ होता था। उनके संगीत में रागों की गहरी समझ और आलाप की उत्कृष्टता थी। उनकी विशेषता यह थी कि वे रागों को न केवल तकनीकी रूप से सही ढंग से प्रस्तुत करते थे, बल्कि वे प्रत्येक राग में एक नई चेतना और भावना का संचार करते थे। उनके संगीत ने सितार वादन को एक नए आयाम पर पहुंचाया।

“महेनता” (The Mohan Veena) का आविष्कार:

पंडित विश्व मोहन भट्ट ने सितार को अपनी विशिष्ट शैली में प्रस्तुत करने के साथ-साथ इसे और भी अद्वितीय बनाया। उन्होंने एक नया वाद्य यंत्र “महेनता” (Mohan Veena) का निर्माण किया। महेनता, जिसे उन्होंने गिटार और सितार के संयोजन से बनाया था, उनके संगीत का एक महत्वपूर्ण और खास हिस्सा बन गया।

“महेनता” में 20 तार होते हैं और यह सितार की ध्वनि को गिटार के साथ मिलाकर एक अद्वितीय स्वर उत्पन्न करता है। यह वाद्य यंत्र उनके संगीत को एक नया रूप और रंग प्रदान करता है और इसने भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी।

प्रमुख पुरस्कार और सम्मान:

पंडित विश्व मोहन भट्ट को भारतीय संगीत के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार निम्नलिखित हैं:

अंतरराष्ट्रीय पहचान:

पंडित विश्व मोहन भट्ट की संगीत यात्रा ने उन्हें न केवल भारतीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय संगीत जगत में भी एक प्रमुख स्थान दिलाया। उनका संगीत, विशेषकर महेनता का वादन, दुनिया भर में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। पंडित भट्ट ने अपने संगीत को न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत के श्रोताओं तक सीमित रखा, बल्कि उन्होंने इसे पूरी दुनिया में फैलाया। उन्होंने विभिन्न पश्चिमी संगीतकारों के साथ मिलकर संगीत रचनाएँ बनाई, जिनमें राई कूडर के साथ उनके सहयोग को विशेष रूप से सराहा गया।

उनकी संगीत यात्रा ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को पश्चिमी संगीत के साथ जोड़ने का एक अद्वितीय प्रयास किया, जिससे भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर पहचान मिली।

संगीत और कला में योगदान:

पंडित विश्व मोहन भट्ट ने न केवल शास्त्रीय संगीत को समृद्ध किया, बल्कि उन्होंने उसे एक नए रूप में प्रस्तुत किया। उनके संगीत में हमेशा एक अद्वितीय सृजनात्मकता और आत्मिक गहराई दिखाई देती है। उनके संगीत ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रति एक नई पीढ़ी का आकर्षण पैदा किया और उन्हें एक विशिष्ट स्थान दिलाया।

“महेनता” के माध्यम से उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत के ध्वनि की विशेषताओं को और भी विकसित किया। उनका संगीत न केवल शास्त्रीय था, बल्कि उसमें एक अद्भुत रचनात्मकता, नई संभावनाएँ और भावनाओं का गहरा प्रतिबिंब था।

व्यक्तिगत जीवन:

पंडित विश्व मोहन भट्ट का व्यक्तिगत जीवन बहुत साधारण और विनम्र था। उन्होंने अपने जीवन को पूरी तरह से संगीत और कला के प्रति समर्पित किया। उनकी साधना और संगीत के प्रति प्रेम ने उन्हें एक महान संगीतकार और गुरु बना दिया। उनका मानना था कि संगीत केवल एक कला नहीं, बल्कि यह आत्मा का आंतरिक अनुभव है।

वे हमेशा अपने संगीत से लोगों के दिलों में एक गहरी भावना और सुकून पहुंचाने का प्रयास करते थे। उनके जीवन में साधना, तपस्या और संगीत का एक गहरा संबंध था, और उन्होंने अपने संगीत को एक साधना के रूप में प्रस्तुत किया।

निष्कर्ष:

पंडित विश्व मोहन भट्ट भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक महान सितार वादक और संगीतकार हैं। उनका संगीत और महेनता वादन आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित है। उनका योगदान न केवल भारतीय संगीत, बल्कि विश्व संगीत के क्षेत्र में भी अद्वितीय और महत्वपूर्ण है। पंडित भट्ट ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक नई दिशा दी और उसे वैश्विक मंच पर स्थापित किया। उनका संगीत और उनकी कला हमेशा के लिए संगीत जगत में अमर रहेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *