जयपुर घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रमुख गायन घरानों में से एक है। इसकी स्थापना उस्ताद अल्लादिया खान द्वारा की गई थी। यह घराना अपने जटिल रचनात्मक शैली, लयकारी (तालों की जटिलता), विस्तृत आलाप और अनूठे गायन तकनीक के लिए प्रसिद्ध है।
1. इतिहास और स्थापना
जयपुर घराने की शुरुआत 19वीं शताब्दी में हुई थी। इसके संस्थापक उस्ताद अल्लादिया खान थे, जो मूल रूप से महाराष्ट्र के थे। उन्होंने इस शैली को विकसित किया और इसे जयपुर में लोकप्रिय बनाया, जिसके कारण इसे “जयपुर घराना” कहा जाने लगा।
उस्ताद अल्लादिया खान ने कई कठिन रागों को पुनर्जीवित किया और अपने गायन में बेहद जटिल लयकारी और बोल-आलाप का समावेश किया। उनके शिष्यों ने आगे चलकर इस घराने को पूरे भारत में प्रसिद्ध किया।
2. जयपुर घराने की विशेषताएँ
जयपुर घराने की गायकी की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
(1) मजबूत लयकारी और ताल प्रयोग
- इस घराने में लयकारी (ताल का जटिल प्रयोग) बहुत महत्वपूर्ण होता है।
- गायन के दौरान स्वरों को लयबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
- तानों में जटिल और अप्रत्याशित गतियाँ होती हैं।
(2) बोल-आलाप और बोल-तान
- इस घराने की गायकी में “बोल-आलाप” (राग के बोलों को विस्तार से प्रस्तुत करना) और “बोल-तान” (तान में बोलों का समावेश) अत्यधिक विकसित होते हैं।
- इसके गायन में शब्दों के स्पष्ट उच्चारण और गहरी अभिव्यक्ति का महत्व है।
(3) विस्तृत आलाप और रागों की गहराई
- जयपुर घराने की गायकी में रागों का विस्तृत आलाप बहुत महत्वपूर्ण होता है।
- इसमें राग को धीरे-धीरे विस्तृत किया जाता है और फिर जटिल तानों के साथ आगे बढ़ाया जाता है।
- राग की शुद्धता और गहराई बनाए रखना इस घराने की विशेषता है।
(4) दुर्लभ और जटिल रागों का गायन
- जयपुर घराने में कई जटिल और दुर्लभ रागों को प्रमुखता दी जाती है।
- कुछ महत्वपूर्ण राग जो इस घराने में गाए जाते हैं: बसंत, ललित, मालकोस, दरबारी, गौड़ सारंग, ललिता-गौरी आदि।
3. प्रमुख कलाकार और गुरु-शिष्य परंपरा
जयपुर घराने से कई महान गायक और कलाकार जुड़े रहे हैं। कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
(1) उस्ताद अल्लादिया खान
- इस घराने के संस्थापक और महान संगीतज्ञ।
- उनकी शैली बहुत कठिन और तकनीकी रूप से समृद्ध थी।
(2) मल्लिकार्जुन मंसूर
- वे इस घराने के प्रमुख गायकों में से एक थे।
- उन्होंने कई दुर्लभ रागों को पुनर्जीवित किया और अपनी विशिष्ट शैली के लिए प्रसिद्ध हुए।
(3) किशोरी अमोनकर
- जयपुर घराने की सबसे प्रसिद्ध गायिकाओं में से एक।
- उन्होंने इस घराने की पारंपरिक शैली को बनाए रखते हुए उसमें अपनी रचनात्मकता जोड़ी।
(4) अश्विनी भिडे-देशपांडे
- आधुनिक युग की प्रमुख गायिका, जिन्होंने इस घराने की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाया।
4. जयपुर घराने का योगदान
जयपुर घराने ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं:
- रागों की शुद्धता बनाए रखी और जटिल रागों को संरक्षित किया।
- लयकारी और ताल प्रयोग में नए प्रयोग किए।
- गायन शैली को अधिक गहराई और तकनीकी श्रेष्ठता दी।
- कई महान संगीतज्ञों का निर्माण किया, जिन्होंने इस घराने को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
5. निष्कर्ष
जयपुर घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक अनूठी और तकनीकी रूप से समृद्ध शैली है। इसकी गायकी में गहरी लयकारी, बोल-आलाप, दुर्लभ रागों का प्रयोग और विस्तृत आलाप का समावेश होता है। यह घराना न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध है और इसे आगे बढ़ाने का कार्य आज भी जारी है।