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चौताल भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय ताल है, जिसमें 12 मात्राएँ होती हैं। चौताल का उपयोग ठुमरी, दादरा, और अन्य शास्त्रीय गायन शैलियों में किया जाता है। यह ताल दो विभागों में बाँटा जाता है और इसकी लय में एक संतुलन और सुंदरता होती है।


चौताल की विशेषताएँ:

  1. मात्राएँ (Matra): 12
  2. विभाग (Vibhag): 2 भाग (6-6)
  3. तालियाँ (Tali): 1, 4, 7, 10
  4. खाली (Khali): कोई खाली नहीं होता।
  5. लय: चौताल मध्यम गति में गाया और बजाया जाता है।

चौताल के बोल:

धिन धिन | धिन ता ता | धा धा | धा तिन तिन


चौताल की संरचना:

सम (1) धिन धिन
ताली (4) धिन ता
ताली (7) धा धा
ताली (10) धा तिन

चौताल का विभाजन:

  1. पहला भाग (6 मात्राएँ): धिन धिन, धिन ता ता, धा धा
  2. दूसरा भाग (6 मात्राएँ): धा तिन तिन, धा तिन तिन

संगीत में चौताल का उपयोग:

उदाहरण:
“धिन धिन | धिन ता ता | धा धा | धा तिन तिन”

चौताल की सुंदरता इसकी लय में निहित होती है, और यह शास्त्रीय संगीत में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

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