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केहरवा ताल एक 8 मात्राओं वाला बहुत ही प्रसिद्ध और सरल ताल है, जिसका उपयोग भारतीय शास्त्रीय संगीत और उपशास्त्रीय संगीत में विशेष रूप से किया जाता है। इसे लोकगीतों, भजन, ठुमरी, और फिल्मी संगीत में भी प्रचलित किया जाता है। केहरवा ताल की लय और गति सुलभ और आकर्षक होती है, जिससे यह संगीत और नृत्य प्रस्तुतियों में बहुत उपयोगी साबित होता है।


केहरवा ताल की विशेषताएँ:

  1. मात्राएँ (Matra): 8
  2. विभाग (Vibhag): 2 भाग (4-4)
  3. तालियाँ (Tali): 1, 5
  4. खाली (Khali): कोई खाली नहीं होता।
  5. लय: केहरवा ताल आमतौर पर मध्यम लय में बजाया जाता है, लेकिन इसे तेज़ लय में भी प्रस्तुत किया जा सकता है।

केहरवा ताल के बोल:

धिन Na | धिन Na | धा ना | धा तिन


केहरवा ताल की संरचना:

सम (1) धिन ना
ताली (5) धा ना
ताली (9) धा तिन

केहरवा ताल का विभाजन:

  1. पहला भाग (4 मात्राएँ): धिन Na, धिन Na
  2. दूसरा भाग (4 मात्राएँ): धा ना, धा तिन

संगीत में केहरवा ताल का उपयोग:

उदाहरण:
“धिन Na | धिन Na | धा ना | धा तिन”

केहरवा ताल की साधारण और लयबद्ध संरचना इसे बहुत लोकप्रिय और व्यावहारिक बनाती है।

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