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किराना घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली घरानों में से एक है। यह घराना मुख्य रूप से अपनी भावपूर्ण गायकी, मींड, आलाप, और लंबे स्वरों के प्रयोग के लिए जाना जाता है। इसकी स्थापना उस्ताद अब्दुल करीम खाँ ने की थी, जो इस घराने के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं।


1. इतिहास और स्थापना

किराना घराने का नाम उत्तर प्रदेश के करनाल जिले (जिसे पहले किराना कहा जाता था) से लिया गया है, जो उस्ताद अब्दुल करीम खाँ का जन्मस्थान था।

उस्ताद अब्दुल करीम खाँ ने इस घराने की गायकी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया और इसे पूरे भारत में लोकप्रिय बनाया। उन्होंने कर्नाटकी संगीत की विशेषताओं को भी इसमें जोड़ा, जिससे यह घराना अनूठा बना।


2. किराना घराने की विशेषताएँ

किराना घराने की गायकी कुछ प्रमुख विशेषताओं पर आधारित है:

(1) स्वरों की शुद्धता और भावनात्मक अभिव्यक्ति

  • इस घराने की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता स्वरों की गहराई और उनकी शुद्धता है।
  • गायकी में स्वरों को बेहद साफ़ और भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।

(2) मींड और आलाप का विस्तृत प्रयोग

  • मींड (स्वरों को धीरे-धीरे जोड़ना) किराना घराने की खासियत है।
  • इस घराने में आलाप को धीरे-धीरे बढ़ाते हुए राग का विस्तार किया जाता है।

(3) लंबे स्वरों और वाइब्रेशन का उपयोग

  • गायन में दीर्घ (लंबे) स्वरों का अधिक उपयोग किया जाता है।
  • इसमें “वाइब्रेशन” (हल्का कंपन) देकर सुरों को और प्रभावशाली बनाया जाता है।

(4) मधुरता और सौम्यता

  • किराना घराने की गायकी में अत्यधिक कोमलता और मधुरता होती है।
  • तानों की अपेक्षा स्वर विस्तार और भावपूर्ण प्रस्तुति को अधिक महत्व दिया जाता है।

(5) विलंबित खयाल गायकी पर विशेष ध्यान

  • इस घराने की गायकी मुख्य रूप से विलंबित खयाल पर केंद्रित होती है, जिसमें राग को धीरे-धीरे और गहराई से प्रस्तुत किया जाता है।
  • तेज़ तानों और जटिल लयकारी की बजाय, इसमें स्वरों की खूबसूरती पर ध्यान दिया जाता है।

3. प्रमुख कलाकार और गुरु-शिष्य परंपरा

किराना घराने के कई प्रसिद्ध गायक हुए हैं, जिन्होंने इस परंपरा को आगे बढ़ाया:

(1) उस्ताद अब्दुल करीम खाँ

  • इस घराने के संस्थापक और महान संगीतज्ञ।
  • उन्होंने किराना घराने की शैली को एक नई पहचान दी और इसे लोकप्रिय बनाया।

(2) उस्ताद अब्दुल वाहिद खाँ

  • वे अब्दुल करीम खाँ के रिश्तेदार और इस घराने के प्रमुख गायक थे।
  • उन्होंने किराना घराने की शैली में और भी परिष्कार किया।

(3) पंडित भीमसेन जोशी

  • 20वीं शताब्दी के सबसे महान गायकों में से एक।
  • उनकी आवाज़ में शक्ति और भावनात्मकता का अद्भुत मेल था।

(4) गंगूबाई हंगल

  • किराना घराने की प्रमुख महिला गायिका, जिनकी गायकी में गहरी अभिव्यक्ति थी।

(5) पंडित फाल्गुनराय जाधव और उस्ताद आमिर ख़ाँ

  • इन दोनों कलाकारों ने भी किराना घराने की शैली को आगे बढ़ाया और नए आयाम दिए।

4. किराना घराने का योगदान

किराना घराने ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया:

  1. स्वरों की कोमलता और भावनात्मक अभिव्यक्ति को प्रमुखता दी।
  2. मींड और लंबे आलाप की परंपरा विकसित की।
  3. विलंबित खयाल गायकी को प्रमुखता से प्रस्तुत किया।
  4. कई महान कलाकारों को जन्म दिया, जिन्होंने इस शैली को और ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

5. निष्कर्ष

किराना घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसकी गायकी भावनात्मक अभिव्यक्ति, स्वर विस्तार, और मधुरता पर केंद्रित होती है। उस्ताद अब्दुल करीम खाँ से शुरू हुई यह परंपरा आज भी जारी है और इसे आगे बढ़ाने का कार्य कई कलाकार कर रहे हैं।

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