प्रयाग संगीत समिति के भाव संगीत क्रियात्मक पाठ्यक्रम में हर वर्ष आपको विभिन्न रागों, तालों और गीतों की तैयारी करनी होगी। इस मार्गदर्शिका के माध्यम से आप समझ पाएंगे कि प्रत्येक वर्ष किन विषयों पर ध्यान देना आवश्यक है और परीक्षा के लिए किस प्रकार तैयारी करनी होगी।
प्रथम वर्ष (Junior Diploma – प्रथम वर्ष)
इस वर्ष आपको संगीत के मूलभूत सिद्धांतों को समझना होगा और अपनी गायन शैली को विकसित करने पर ध्यान देना होगा।
तैयारी के प्रमुख बिंदु:
- स्वर अभ्यास:
- सही उच्चारण के साथ आरोह-अवरोह का अभ्यास करें।
- शुद्ध स्वर और कोमल/तीव्र स्वरों की पहचान करें।
- राग अध्ययन:
- आपको निम्नलिखित रागों की पहचान करनी होगी और इन पर आधारित गीत तैयार करने होंगे:
- भूपाली
- यमन
- काफी
- खमाज
- बिहाग
- आपको निम्नलिखित रागों की पहचान करनी होगी और इन पर आधारित गीत तैयार करने होंगे:
- ताल अभ्यास:
- कहरवा ताल (8 मात्रा)
- दादरा ताल (6 मात्रा)
- तीनताल (16 मात्रा)
- गीत प्रस्तुति:
- दो भावपूर्ण भजन या लोकगीत तैयार करें।
- एक हल्की ठुमरी या ग़ज़ल का अभ्यास करें।
द्वितीय वर्ष (Junior Diploma – द्वितीय वर्ष)
अब आपको संगीत में अधिक गहराई से अभ्यास करना होगा और अपनी स्वर, ताल और भाव अभिव्यक्ति को और मजबूत बनाना होगा।
तैयारी के प्रमुख बिंदु:
- राग अध्ययन:
- इस वर्ष निम्नलिखित रागों को विस्तृत रूप से सीखना होगा:
- भैरवी
- बागेश्री
- दरबारी कान्हड़ा
- देश
- इस वर्ष निम्नलिखित रागों को विस्तृत रूप से सीखना होगा:
- ताल अभ्यास:
- झपताल (10 मात्रा)
- रूपक ताल (7 मात्रा)
- तीनताल (16 मात्रा)
- गीत प्रस्तुति:
- एक ठुमरी या दादरा तैयार करें।
- भक्तिगीत (भजन, ग़ज़ल या सुगम संगीत) का अभ्यास करें।
- शुद्ध राग आधारित बंदिश का गायन सीखें।
तृतीय वर्ष (Senior Diploma – प्रथम वर्ष)
अब तक आपने भाव संगीत की मूलभूत बातें सीख ली होंगी। इस वर्ष आपको अपनी गायन शैली को और निखारने तथा विभिन्न प्रकार के गीतों में भाव व्यक्त करने का अभ्यास करना होगा।
तैयारी के प्रमुख बिंदु:
- राग अध्ययन:
- इस वर्ष निम्नलिखित रागों को अभ्यास में लाना होगा:
- तिलक कामोद
- मारवा
- मालकौंस
- पहाड़ी
- इस वर्ष निम्नलिखित रागों को अभ्यास में लाना होगा:
- ताल अभ्यास:
- दीपचंदी (14 मात्रा)
- झूमरा (14 मात्रा)
- धमार (14 मात्रा)
- गीत प्रस्तुति:
- एक ठुमरी या ध्रुपद का अभ्यास करें।
- एक कव्वाली या सूफी गायन तैयार करें।
- भक्तिगीत या लोकगीत का अभ्यास करें।
चतुर्थ वर्ष (Senior Diploma – द्वितीय वर्ष)
इस वर्ष आपको अपने गायन में परिपक्वता लानी होगी और मंच प्रस्तुति की तैयारी करनी होगी।
तैयारी के प्रमुख बिंदु:
- राग अध्ययन:
- निम्नलिखित रागों पर विशेष ध्यान दें:
- जयजयवंती
- गौड़ सारंग
- गौरी
- बसंत
- निम्नलिखित रागों पर विशेष ध्यान दें:
- ताल अभ्यास:
- ध्रुपद (12 मात्रा)
- धमार (14 मात्रा)
- त्रिताल (16 मात्रा)
- गीत प्रस्तुति:
- शास्त्रीय शैली में एक भक्तिगीत तैयार करें।
- लोकसंगीत जैसे चैती, कजरी, झूला का अभ्यास करें।
- एक ठुमरी या भजन की प्रस्तुति दें।
महत्वपूर्ण सुझाव:
- नियमित रूप से रियाज करें और विभिन्न रागों का स्वरों के साथ गहराई से अध्ययन करें।
- तालों की गिनती सही रखें और तालबद्ध गायन का अभ्यास करें।
- गीतों में भावनाओं की अभिव्यक्ति पर विशेष ध्यान दें ताकि प्रस्तुति प्रभावशाली हो।
- परीक्षा के लिए निर्धारित गीतों को याद कर सही ढंग से प्रस्तुत करने का अभ्यास करें।