प्रयाग संगीत समिति भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य, और वाद्य यंत्रों में विभिन्न डिप्लोमा और प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम प्रदान करती है। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेशिका (प्रारंभिक स्तर) से लेकर प्रभाकर (उच्चतम स्तर) तक की परीक्षाएँ शामिल हैं।
मुख्य पाठ्यक्रम:
- शास्त्रीय गायन (खयाल और ध्रुपद): प्रवेशिका से लेकर प्रभाकर तक।
- भाव संगीत: जूनियर डिप्लोमा (प्रथम वर्ष) से सीनियर डिप्लोमा (चौथे वर्ष) तक।
- वाद्य संगीत (तबला और पखावज): जूनियर डिप्लोमा (प्रथम वर्ष) से सीनियर डिप्लोमा (छठे वर्ष) तक।
- नृत्य (कथक और भरतनाट्यम): प्रवेशिका से लेकर प्रभाकर तक।
पाठ्यक्रम की संरचना:
प्रत्येक वर्ष के लिए सिलेबस में निम्नलिखित शामिल होते हैं:
- संगीत सिद्धांत: संगीत के मूल सिद्धांत, रागों की पहचान, तालों की जानकारी आदि।
- व्यावहारिक प्रशिक्षण: राग प्रस्तुति, ताल अभ्यास, वाद्य यंत्रों का संचालन, नृत्य मुद्राएँ आदि।
- पाठ्य सामग्री: प्रत्येक वर्ष के लिए निर्धारित राग, ताल, बंदिशें, और अन्य अभ्यास।
उदाहरण के लिए:
- प्रथम वर्ष (प्रवेशिका):
- संगीत सिद्धांत: संगीत के मूलभूत तत्व, सरगम, तालों का परिचय।
- व्यावहारिक प्रशिक्षण: सरल रागों का गायन/वादन, तालों पर अभ्यास।
- द्वितीय वर्ष (जूनियर डिप्लोमा प्रथम वर्ष):
- संगीत सिद्धांत: रागों की विस्तार से जानकारी, तालों की गहराई से समझ।
- व्यावहारिक प्रशिक्षण: मध्य स्तर के रागों का अभ्यास, जटिल तालों पर कार्य।