पंचम स्वर ताल भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक जटिल और अद्वितीय ताल है, जिसमें 15 मात्राएँ होती हैं। यह ताल अपनी असामान्य लयबद्धता और स्वरूप के कारण गायन, वादन और नृत्य में विशिष्ट स्थान रखता है। पंचम स्वर ताल का उपयोग प्रायः गंभीर और उन्नत संगीत प्रस्तुतियों में किया जाता है।
पंचम स्वर ताल की विशेषताएँ:
- मात्राएँ (Matra): 15
- विभाग (Vibhag): 4 भाग (4-4-4-3)
- तालियाँ (Tali): 1, 5, 9, 13
- खाली (Khali): 11वें मात्रा पर
- लय: यह ताल प्रायः मध्य और विलंबित लय में प्रयोग किया जाता है।
पंचम स्वर ताल के बोल:
धा तिन तिन ता | ता धा धा धिन | ता तिन तिन ता | धा ता धिन
पंचम स्वर ताल की संरचना:
सम (1) | धा | तिन | तिन | ता |
---|---|---|---|---|
ताली (5) | ता | धा | धा | धिन |
ताली (9) | ता | तिन | तिन | ता |
खाली (11) | धा | ता | धिन |
पंचम स्वर ताल का विभाजन:
- पहला भाग (4 मात्राएँ): धा तिन तिन ता
- दूसरा भाग (4 मात्राएँ): ता धा धा धिन
- तीसरा भाग (4 मात्राएँ): ता तिन तिन ता
- चौथा भाग (3 मात्राएँ): धा ता धिन
संगीत में पंचम स्वर ताल का उपयोग:
- गायन: पंचम स्वर ताल का उपयोग प्रायः ध्रुपद, खयाल और ठुमरी में होता है।
- वादन: यह ताल तबला और पखावज पर बजाई जाती है।
- नृत्य: शास्त्रीय नृत्य शैलियों, विशेष रूप से कथक में इसका उपयोग होता है।
पंचम स्वर ताल की जटिल संरचना और गहराई इसे शास्त्रीय संगीत के लिए विशेष रूप से उपयुक्त बनाती है।