धमार ताल भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक प्रमुख ताल है, जिसका प्रयोग मुख्य रूप से ध्रुपद गायन, धमार शैली, और कथक नृत्य में किया जाता है। यह 14 मात्राओं की ताल है, जो 4 विभागों में विभाजित होती है।
संरचना:
- मात्राएँ (Total Beats): 14
- विभाग (Divisions): 4
- तालियाँ (Claps): 1, 3, और 4
- खाली (Wave): 2
ताल चिह्न और बोल:
ताल चिह्न:
विभाग | मात्राएँ | तालियाँ / खाली | बोल |
---|---|---|---|
1 | 5 | ताली (1) | का धि टा टा धा |
2 | 2 | खाली | – गी ता |
3 | 3 | ताली (3) | ता ता तिन |
4 | 4 | ताली (4) | टा ता धा गी ता |
पूरा बोल:
का धि टा टा धा | – गी ता | ता ता तिन | टा ता धा गी ता
धमार ताल का ताल चक्र:
- पहला विभाग: का धि टा टा धा (5 मात्राएँ)
- दूसरा विभाग: – गी ता (2 मात्राएँ)
- तीसरा विभाग: ता ता तिन (3 मात्राएँ)
- चौथा विभाग: टा ता धा गी ता (4 मात्राएँ)
विशेषताएँ:
- लयबद्ध संरचना:
धमार ताल की 14 मात्राएँ इसे संतुलित और आकर्षक बनाती हैं। - खाली और ताली का सामंजस्य:
इसमें खाली और तालियों का सुंदर समन्वय होता है। - प्रयोग:
- गायन: ध्रुपद और धमार शैली।
- नृत्य: कथक।
- वादन: तबला और पखावज।
- अभ्यास:
इसकी संरचना में लंबाई और जटिलता के कारण यह अभ्यास के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
धमार ताल के उपयोग:
- गायन: गंभीर रचनाओं में।
- नृत्य: विशेष रूप से कथक में लयकारी और भाव दिखाने के लिए।
- वादन: तबला और पखावज पर रचनात्मक प्रस्तुतियों के लिए।