
दुर्गा राग
थाट: बिलावल
जाति: औड़व – औड़व
वादी: धैवत
संवादी:रिषभ
रागांग: उत्तरांग
पकड़: मपध म रेपम रेधसा
आरोह: सा रे म प ध सां
अवरोह: सां ध प म रे सा
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: कर्नाटिक संगीत में यह शुद्धसावेरी नाम से प्रचलित है। वर्जित-ग नि। कुछ लोग वादी म सम्वादी स मानते हैं। इसमें धम रेप रेध की संगति विशेष है।