तीनताल 16 मात्राओं का ताल है, जिसे चार बराबर भागों में विभाजित किया गया है। इसमें तीन तालियाँ और एक खाली होती है। इस ताल का उपयोग गायन, वादन, और नृत्य में सबसे अधिक किया जाता है। यह अत्यधिक संतुलित और लयबद्ध ताल है, जो किसी भी प्रस्तुति को सुंदरता प्रदान करता है।
तीनताल की विशेषताएँ:
- मात्राएँ (Matra): 16
- विभाग (Vibhag): 4 भाग (4-4-4-4)
- तालियाँ (Tali): 1, 5, 13
- खाली (Khali): 9वें मात्रा पर
- लय: यह विलंबित, मध्यम, और द्रुत तीनों लयों में बजाया जा सकता है।
तीनताल के बोल:
तीनताल के हर भाग के बोल इस प्रकार होते हैं:
- धा धा तिन तिन
- ता ता धिन धिन
- धा धा तिन तिन
- ता ता धिन धिन
तीनताल की संरचना:
सम (1) | धा | धा | तिन | तिन |
---|---|---|---|---|
ताली (5) | ता | ता | धिन | धिन |
खाली (9) | धा | धा | तिन | तिन |
ताली (13) | ता | ता | धिन | धिन |
सारंगियों और तबले पर उपयोग:
- तबले पर तीनताल का प्रयोग बहुत आम है।
- इसे अक्सर खयाल, ठुमरी, दादरा, और कई शास्त्रीय और उपशास्त्रीय शैलियों में बजाया जाता है।
उदाहरण:
“धा धा तिन तिन, ता ता धिन धिन, धा धा तिन तिन, ता ता धिन धिन।”