भारतीय संगीत में विभिन्न प्रकार की गायन शैलियाँ पाई जाती हैं। कुछ प्रमुख शैलियाँ इस प्रकार हैं:
- ध्रुपद – यह भारतीय शास्त्रीय संगीत की सबसे पुरानी और गंभीर शैली मानी जाती है। इसमें रागों का विस्तार बहुत ही गहरे स्वर में किया जाता है।
- ख्याल – यह सबसे लोकप्रिय शास्त्रीय गायन शैली है, जिसमें कल्पनाशीलता और अलंकरणों का विशेष महत्व होता है।
- ठुमरी – यह श्रृंगार रस प्रधान शैली होती है, जिसमें भावनात्मक अभिव्यक्ति पर अधिक जोर दिया जाता है।
- टप्पा – यह शैली पंजाबी लोक संगीत से प्रभावित है और इसमें तीव्र गति की तानों का प्रयोग किया जाता है।
- तराना – इसमें विशेष प्रकार के बोलों का उपयोग किया जाता है, जैसे “नादिर दानी, टॉम दिर दानी” आदि।
- ग़ज़ल – यह उर्दू शायरी पर आधारित गायन शैली है, जिसमें प्रेम, विरह और दर्शन से जुड़े भाव व्यक्त किए जाते हैं।
- भजन – यह धार्मिक और भक्ति संगीत की एक शैली है, जिसमें भगवान की स्तुति गाई जाती है।
- कीर्तन – यह भी भजन की तरह भक्तिपूर्ण संगीत है, लेकिन इसे समूह में गाया जाता है और इसमें लयबद्ध स्वर दोहराए जाते हैं।
- कव्वाली – यह सूफी परंपरा से जुड़ी हुई शैली है, जो विशेष रूप से दरगाहों और सूफी महफिलों में गाई जाती है।
- चैत और बिरहा – यह उत्तर भारत में प्रचलित लोक संगीत की शैलियाँ हैं, जिनमें सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों को प्रमुखता दी जाती है।