थाट - कल्याण
जाति - औड़व - षाड़व
वर्ज्य स्वर - आरोह में रे, ग और अवरोह में ग
वादी - मध्यम
संवादी - षडज
गायन समय - रात्रि का प्रथम प्रहर
न्यास के स्वर - स, म और प
समप्रकृति राग - हमीर, कामोद
विशेष - दोनों मध्यमों का प्रयोग,
तीव्र मध्यम आरोह में पंचम के साथ एवं शुद्ध मध्यम आरोह व अवरोह दोनों में प्रयुक्त होता है।
आरोह - स, म म, प, मं प ध प, नि ध सं ।
अवरोह - सं नि ध प, मं प, ध प, म रे सा।