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आड़ा चौताल भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण ताल है, जिसमें 14 मात्राएँ होती हैं। यह ताल खासतौर पर ठुमरी, दादरा, और छोटे वादन रूपों में इस्तेमाल होता है। चौताल के रूप में इसे दो विभागों में बाँटा जाता है, जिनमें एक विभाग की गति अधिक धीमी होती है और दूसरा तेज़।


आड़ा चौताल की विशेषताएँ:

  1. मात्राएँ (Matra): 14
  2. विभाग (Vibhag): 2 भाग (7-7)
  3. तालियाँ (Tali): 1, 4, 7, 10
  4. खाली (Khali): कोई खाली नहीं होता।
  5. लय: आड़ा चौताल में धीमी और तेज़ गति का संयोजन होता है।

आड़ा चौताल के बोल:

धिन धिन | धिन ता ता | धा धा | धा तिन तिन


आड़ा चौताल की संरचना:

सम (1) धिन धिन
ताली (4) धिन ता
ताली (7) धा धा
ताली (10) धा तिन

आड़ा चौताल का विभाजन:

  1. पहला भाग (7 मात्राएँ): धिन धिन, धिन ता ता, धा धा
  2. दूसरा भाग (7 मात्राएँ): धा तिन तिन, धा तिन तिन

संगीत में आड़ा चौताल का उपयोग:

उदाहरण:
“धिन धिन | धिन ता ता | धा धा | धा तिन तिन”

आड़ा चौताल की संरचना सुसंगत और प्रभावशाली होती है, और इसकी लय और गति दर्शक को बहुत आकर्षित करती है।

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